दार्जिलिंग के हरे-भरे पहाड़ों से निकला एक नया सितारा — सुमित राय — जिसने अपनी मेहनत, जुनून और संकल्प से बॉडीबिल्डिंग की दुनिया में धमाकेदार एंट्री कर ली है। महज़ 24 साल की उम्र में सुमित ने मिस्टर दार्जिलिंग प्रतियोगिता में न सिर्फ़ दो स्वर्ण पदक जीते, बल्कि चैम्पियन ऑफ चैम्पियंस का प्रतिष्ठित खिताब भी अपने नाम कर लिया, और बन गए दार्जिलिंग के इतिहास में यह उपलब्धि हासिल करने वाले सबसे कम उम्र के एथलीट।
दार्जिलिंग रेलवे स्टेशन इलाके के रहने वाले सुमित की इस कामयाबी के पीछे वर्षों की कड़ी मेहनत और अनुशासन की कहानी है। नॉट्रे डेम अकादमी (NDA) दार्जिलिंग के पूर्व छात्र और कोलकाता के K11 स्कूल ऑफ फिटनेस एंड साइंस से डिप्लोमा धारक सुमित ने खुद को फिटनेस की दुनिया के लिए पूरी तरह समर्पित कर दिया।
उनकी उपलब्धियाँ यहीं नहीं थमीं। हाल ही में दिल्ली में हुए नरेश सूर्या क्लासिक में भी सुमित ने शानदार प्रदर्शन करते हुए दो कांस्य पदक जीतकर साबित कर दिया कि वे राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी छाप छोड़ने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
सुमित की इस सफलता के पीछे टेन्ज़िंग जिम के अनुभवी कोच रेबेश प्रधान और तेनज़िंग ज़ाम्यांग का मार्गदर्शन और उनका कठोर प्रशिक्षण शामिल है। उनके इस ऐतिहासिक खिताब ने दार्जिलिंग की युवा पीढ़ी को न सिर्फ़ प्रेरित किया है, बल्कि यह भी दिखा दिया है कि संकल्प, परिश्रम और सही दिशा-निर्देशन से कुछ भी संभव है।
अब दार्जिलिंग के खेल प्रेमी और स्थानीय लोग चाहते हैं कि सुमित राय जैसे होनहार एथलीट को और बड़ा मंच और प्रोत्साहन मिले, ताकि वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी दार्जिलिंग का नाम रोशन कर सकें। सुमित की कहानी इस बात का जीता-जागता सबूत है कि सपने सच होते हैं — बशर्ते दिल में जुनून हो, और राह में मेहनत की रोशनी।
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